मध्य प्रदेश में आम जनता की जेब पर एक और झटका लगा है। 6 अगस्त 2025 को विधानसभा में ‘भारतीय स्टांप (मध्य प्रदेश संशोधन) विधेयक 2025’ पारित होने के बाद, कई ज़रूरी दस्तावेजों पर लगने वाला स्टांप शुल्क 100% से 400% तक बढ़ गया है। यह फैसला खासकर मध्यमवर्ग और गरीब परिवारों के लिए हलफनामा (एफिडेविट), किरायानामा और प्रॉपर्टी से जुड़े काम पहले से कहीं ज्यादा महंगे कर देगा। आइए जानते हैं कि इस फैसले से क्या-क्या महंगा हुआ और इसका आप पर क्या असर पड़ेगा।
स्टांप शुल्क में हुई भारी बढ़ोतरी
इस नए कानून के बाद कई दस्तावेजों पर लगने वाले शुल्क में ज़बरदस्त इजाफा हुआ है। यहाँ देखें कुछ प्रमुख बदलाव:
- एफिडेविट: पहले ₹50 का स्टांप शुल्क लगता था, जो अब सीधा ₹200 हो गया है। यानी 300% की वृद्धि।
- रेंट एग्रीमेंट: यह पहले ₹500 में बनता था, लेकिन अब ₹1,000 का शुल्क लगेगा। यह 100% की बढ़ोतरी है।
- प्रॉपर्टी एग्रीमेंट: पहले यह ₹1,000 में हो जाता था, लेकिन अब आपको ₹5,000 चुकाने होंगे। यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह 400% की वृद्धि है।
- शस्त्र लाइसेंस: नया लाइसेंस बनवाने के लिए अब ₹5,000 की जगह ₹10,000 देने होंगे। यह भी 100% की वृद्धि है।
- शस्त्र लाइसेंस नवीनीकरण: यह पहले ₹2,000 में होता था, अब इसकी फीस ₹5,000 होगी।
सरकार का तर्क: राजस्व बढ़ाना ज़रूरी
वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह बदलाव राज्य का राजस्व बढ़ाने के लिए किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि 11 साल बाद यह संशोधन लाया गया है और यह सिर्फ 64 में से 12 बिंदुओं पर ही लागू होगा। साथ ही, उन्होंने अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लोगों के लिए एफिडेविट पर स्टांप शुल्क पूरी तरह माफ कर दिया है, ताकि उन पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े।
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विपक्ष का हमला: महंगाई का नया चाबुक
कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे “जनविरोधी” करार दिया और कहा कि यह आम जनता के लिए ज़रूरी दस्तावेजों को “लक्जरी आइटम” बना देगा। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा कि यह फैसला महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही जनता पर “एक और चाबुक” है।
आम जनता पर असर: रोजमर्रा के काम हुए महंगे
इस फैसले का सीधा असर हर उस व्यक्ति पर पड़ेगा, जिसे एफिडेविट, किरायानामा या प्रॉपर्टी से जुड़े काम करवाने होते हैं।
- एफिडेविट: सरकारी योजनाओं या कोर्ट केस के लिए शपथ पत्र बनवाना अब चार गुना महंगा हो गया है।
- रेंट एग्रीमेंट: शहर में किराए पर रहने वाले लोगों और मकान मालिकों को अब दोगुना शुल्क देना होगा, जिससे किराये की लागत भी बढ़ सकती है।
- प्रॉपर्टी एग्रीमेंट: प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने में अब ज्यादा खर्च आएगा, जिसका असर रियल एस्टेट सेक्टर पर भी पड़ सकता है।
क्या होगा आगे?
कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया, तो वे सरकार के खिलाफ अभियान चलाएंगे। सरकार को उम्मीद है कि इस वृद्धि से राजस्व बढ़ेगा और प्रशासनिक सुधारों में मदद मिलेगी। हालांकि, इसका तात्कालिक असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा।
डिस्क्लेमर
यह लेख इंटरनेट पर उपलब्ध डेटा और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर तैयार किया गया है। किसी भी दस्तावेज को बनवाने से पहले, कृपया आधिकारिक स्रोतों से दरों की पुष्टि ज़रूर करें।
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